Wednesday 20 September 2023


 आज फिर ◆◆◆◆◆

आज फिर ... मन भर आया 

चली मैं , तुम संग

बन हरियाली छाया

हाँ.... तुम ही तो हो

जो वर्षों से मुझे 

देते आये संबल

कभी अपनी काया से 

कभी मीठी छाया से

छिपा अपने आगोश में ...

पोंछ मेरे आंसू 

अपनी आर्द्रता से

मेरे सूखे मन को

हल्के से सहला देते

और.. और.. मैं...सुबक उठती 

तुम्हारी हरित कांति में

फिर ..फिर..

तुम धुंध की गहरी चादर में

मानो ... छुपा देते मुझे 

प्रकृति की चादर में

तत्पश्चात ....

प्रकृति की कोख से

पुनर्जीवित सी ' मैं '

'मनस्वी ' ....

खिल उठती नवजीवन पा 

दुआ को उठते हाथ ज्यूँ

मुस्कुराने लगते पात यूँ.... ©®मनस्वी


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