Tuesday 3 December 2019

दर्द

दर्द
है दर्द में डूबा हर शब्द हमारा
अब तो है हमें बस इन्ही का सहारा
रोयेगा जब भी ये दिल हमारा
उतारेंगे कागज़ पर हम दर्द सारा
गरजते है बादल तो बरसती है आँखे
चुभते है दिल में फिर यादों के काँटे
समय की धारा तो बहती रहेगी
कुछ न कुछ हमसे वो कहती रहेगी
मगर दर्द दिल का तो बढ़ता ही जायेगा
कागज़ को यूं ही वो रंगता ही जायेगा
फिर एक दिन *मनस्वी*ऐसा भी आएगा
जब दर्द ये हमें इस जहाँ से ले जाएगा
उस दिन का है हमें अब इतना इंतज़ार
कि,, ख्याल एक यही अब आता है बार बार
ऐ खुदा ! हमारी वफ़ा का कुछ सिला दे
इस दर्द से हमें अब तू मुक्ति दिला दे ,,,
टिप्पणी ~~ एक नारी की व्यथा गाथा जिससे उसकी व्यथित मनोदशा का पता चलता है कि कोई इंसान नहीं है जो उसको समझ सके सिवाय उसकी डायरी के जो उसके दर्द की हमनवाज़ है।
मीनाक्षी कपूर मीनू (मनस्वी)

Monday 2 December 2019

खामोश सदाएं

खामोशी की हद न पूछो हमसे मनस्वी
ये वो सदायें है जो बोली नहीं जाती
तन्हा मन की आवाज़ खामोश है मनस्वी
क्योंकि तन्हाई गुनगुनायी नहीं जाती
सरहद पार से भी सदायें आती है मनस्वी
बस अब सबको सुनाई नहीं जाती

Wednesday 27 November 2019

बस यूं ही कभी कभी बारिश की बूंदों से भीगते मन शब्द ..😊💦💦
भीग जाते हैं आंखों के कोने भी हल्के से कभी
मनस्वी , ये अलग बात है कि 
इन्हें देख नहीं पाते है सभी
ओस सा भीग जाता है मन भी कभी
ये अलग बात है कि 
फिसलने वाले को भी बचा नहीं पाते है सभी
समझने समझाने की उलझन को कौन आज समझे
मनस्वी, बस सब समझ कर भी 
दिल को न समझ पाते है सभी....

Tuesday 26 November 2019

आसदीप
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तबियत नासाज़ है
मन है
भीगा भीगा सा
खामोश है समां
चरमराहट है पतों की
कहीं किसी शाख पर
निकली है कोंपल
देख उसे यूँ लगा
आगाज़ है
नवजीवन की...
ढलती शाम
मिलन निशा का
फिर
सुस्वागत
भोर किरण का
मनस्वी....
आसदीप बस यूं ही
जला कर रखना
प्रकृति
संग तनमन भी
स्वयं बचा कर रखना.....
मीनाक्षी कपूर मीनू (मनस्वी )