Monday 11 September 2023

सीख

 सीख 

वक्त बुरा , हाल बेहाल हैं देखो तो आज इंसान का 

पहाड़ दरक रहे , जमीं फट रही , हर तरफ आलम पुकार का

अलग-अलग हैं जगह सभी ,फिर भी जुड़ रहा रिश्ता दर्द का

बादल की गर्जन से आज , इंसानी चेहरा भी हैं भीगा सर्द सा 

सांझ ढल रही , फिर भी आसमां में कहीं आसदीप हैं चांद सा

मनस्वी ..निशा के बाद अब होगा, भोर उजला शांत सा 

ए मानव !मत घबरा सीख ले बस !आशियाना नया बसा 

प्रेम कर प्रकृति से , ना फाड़ उसका सीना , ना ही उसमे समा 

सृष्टा हैं वो , दृष्टा भी , तुझमें भी हैं समाया , ना तुझसे हैं जुदा 

मनस्वी .. मत भूल उसे , कर वंदन, वही ईश हैं वही खुदा ।।

©® मनस्वी 


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