Monday, 2 December 2019

खामोश सदाएं

खामोशी की हद न पूछो हमसे मनस्वी
ये वो सदायें है जो बोली नहीं जाती
तन्हा मन की आवाज़ खामोश है मनस्वी
क्योंकि तन्हाई गुनगुनायी नहीं जाती
सरहद पार से भी सदायें आती है मनस्वी
बस अब सबको सुनाई नहीं जाती

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