भीग जाते हैं आंखों के कोने भी हल्के से कभी
मनस्वी , ये अलग बात है कि
इन्हें देख नहीं पाते है सभी
ओस सा भीग जाता है मन भी कभी
ये अलग बात है कि
फिसलने वाले को भी बचा नहीं पाते है सभी
समझने समझाने की उलझन को कौन आज समझे
मनस्वी, बस सब समझ कर भी
दिल को न समझ पाते है सभी....
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