Saturday 9 February 2013

डर ....................................................................

आज हर लड़की सहमी -सहमी सी है ,डरी-डरी सी है ,गुमसुम सी है कि कहीं वो भी न खो दे अपना अस्तित्व दामिनी सा ..और खो न जाये कहीं इस वहशी भूल -भुलैया में ,और उसके सपने उसके माँ -बाप के लिए सच में सपने बन जाये.. न जाने क्यों ये डर न चाहते हुए भी ................................

अब  दिल  में  हमेशा  एक  डर सा रहता है 
हर  पल  न  जाने  क्यों  सहमा सा रहता है 
अब  व्याकुल  ये  मन  घबराया सा रहता है 
जैसे आने वाले गम से बौखलाया सा रहता है
ख्याल  एक  हमेशा अब डराता सा रहता है 
हर  पल  वो  हमें  बस  सताता  सा रहता है 
न जाने क्यों डर ये मन में छाया सा रहता है 
हर पल में , हर क्षण में ,हमसाया सा रहता है 
.........................मनस्वी ............................
 

Wednesday 9 January 2013

कलयुगी प्यार .........................................................

कौन कहता है कि 
हम प्यार करते हैं ,
कौन कहता है कि 
हम प्यार निभाते हैं ,
दुनिया को बेवकूफ 
बनाते हैं वो लोग ,
जो ये कहते  हैं ....
और बातें बनाते हैं
खुदा ..... गवाह है 
इस बात का ' मनस्वी '
यहाँ कोई प्यार करते नहीं 
सिर्फ प्यार जताते हैं ......................................मनस्वी .............................................

बसेरा ...मन का .........................................

दूर किसी गाँव में ,पेड़ों की छाँव  में 
अपना है बसेरा ,उनकी पलकों की छाँव में ......मनस्वी .......................

हमसाया: बदलाव '''''''''''''''''''ना जाने क्यूँकभी -कभी मन...

हमसाया:
बदलाव '''''''''''''''''''ना जाने क्यूँकभी -कभी मन...
: बदलाव  ''''''''''''''''''' ना जाने क्यूँ कभी -कभी  मन उदास हो जाता है , बेवज़ह भिगो देता है , आँखों को जब कि ------ सब ...

Wednesday 2 January 2013

आज का इन्सान ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

कितना बेबस होता है इन्सान
बाहर हँसता भीतर रोता है इन्सान
मगर क्यों दुनिया वालो ? शायद 
तुम्हारे हँसने से डरता है इन्सान.....

आज लगता है जैसे दो चेहरे 
रखता है हर इन्सान ......
रखता नहीं मगर रखने पर 
मजबूर होता है हर इन्सान .....

चाहता कुछ और है मगर 
पाता कुछ और है इन्सान 
यूँ  लगता है जैसे हर रोज 
जीता और मरता है इन्सान......... 

आज विश्वास -अविश्वास 
के बीच जी रहा है इन्सान 
अपने दर्दे - दिल को भी 
मुस्कुराते हुए पी रहा है इन्सान ........

आज किसी को दोस्त तो किसी 
को  दुश्मन बनाता है इन्सान 
मगर किसी को भुलाते हुए 
खुद को भी भूल जाता है इन्सान .........

हर पल आशा व निराशा के 
झूले में झूलता रहता है इन्सान 
अनचाहे ही दूसरों की पीड़ा 
में सूखता रहता है इन्सान ......

बदलना चाहता है खुद को मगर 
बदल नहीं पाता है  इन्सान 
' मनस्वी '
यूँ ही सोचते -सोचते एक दिन 
जिंदगी छोड़ जाता है इन्सान ...........................