Tuesday 3 December 2019

दर्द

दर्द
है दर्द में डूबा हर शब्द हमारा
अब तो है हमें बस इन्ही का सहारा
रोयेगा जब भी ये दिल हमारा
उतारेंगे कागज़ पर हम दर्द सारा
गरजते है बादल तो बरसती है आँखे
चुभते है दिल में फिर यादों के काँटे
समय की धारा तो बहती रहेगी
कुछ न कुछ हमसे वो कहती रहेगी
मगर दर्द दिल का तो बढ़ता ही जायेगा
कागज़ को यूं ही वो रंगता ही जायेगा
फिर एक दिन *मनस्वी*ऐसा भी आएगा
जब दर्द ये हमें इस जहाँ से ले जाएगा
उस दिन का है हमें अब इतना इंतज़ार
कि,, ख्याल एक यही अब आता है बार बार
ऐ खुदा ! हमारी वफ़ा का कुछ सिला दे
इस दर्द से हमें अब तू मुक्ति दिला दे ,,,
टिप्पणी ~~ एक नारी की व्यथा गाथा जिससे उसकी व्यथित मनोदशा का पता चलता है कि कोई इंसान नहीं है जो उसको समझ सके सिवाय उसकी डायरी के जो उसके दर्द की हमनवाज़ है।
मीनाक्षी कपूर मीनू (मनस्वी)

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