Tuesday, 26 November 2019

आसदीप
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तबियत नासाज़ है
मन है
भीगा भीगा सा
खामोश है समां
चरमराहट है पतों की
कहीं किसी शाख पर
निकली है कोंपल
देख उसे यूँ लगा
आगाज़ है
नवजीवन की...
ढलती शाम
मिलन निशा का
फिर
सुस्वागत
भोर किरण का
मनस्वी....
आसदीप बस यूं ही
जला कर रखना
प्रकृति
संग तनमन भी
स्वयं बचा कर रखना.....
मीनाक्षी कपूर मीनू (मनस्वी )




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