Saturday, 9 February 2013

डर ....................................................................

आज हर लड़की सहमी -सहमी सी है ,डरी-डरी सी है ,गुमसुम सी है कि कहीं वो भी न खो दे अपना अस्तित्व दामिनी सा ..और खो न जाये कहीं इस वहशी भूल -भुलैया में ,और उसके सपने उसके माँ -बाप के लिए सच में सपने बन जाये.. न जाने क्यों ये डर न चाहते हुए भी ................................

अब  दिल  में  हमेशा  एक  डर सा रहता है 
हर  पल  न  जाने  क्यों  सहमा सा रहता है 
अब  व्याकुल  ये  मन  घबराया सा रहता है 
जैसे आने वाले गम से बौखलाया सा रहता है
ख्याल  एक  हमेशा अब डराता सा रहता है 
हर  पल  वो  हमें  बस  सताता  सा रहता है 
न जाने क्यों डर ये मन में छाया सा रहता है 
हर पल में , हर क्षण में ,हमसाया सा रहता है 
.........................मनस्वी ............................
 

5 comments:

  1. yahi aasha hai ji warna ...aaj to manav haivan ka rup le chuka hai ........... :(

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  2. इस भय को दूर भगाना है....
    नारी शक्ति है,
    बस एक बार इन कापुरुषों को काली का रूप दिखाना है...

    साहसी बनो....तुमसे है ज़माना...
    अनु

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  3. जी धन्यवाद । आज बहुत समय बाद ब्लॉग खोल पायी । आभार ।

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