Monday, 29 May 2017

भूलना सीखो

भूलना सीखो
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''मानव क्या है ...? मानव जड़ से चेतन हुई भगवान की अनमोल कृति ....लेकिन भाबनावश मानव अपनी अमूल्यता को भुला कर इस अनमोल शरीर के साथ भावनाओं का खिलवाड़ कुछ इस तरह से करता है कि ..ईश्वर प्रदत यह अमूल्यता समय से पहले या तो नष्ट हो जाती है या शारीरिक अस्वस्थता ..हमारे जीवन को कष्टदायक बना देती है .......ये कष्ट ज्यादातर हमारी भावनाओं से जुड़े है ,,,अगर हम शरीर से ,मन से ,आचरण से ,स्वस्थ होना चाहते हैं तो अस्वस्थता की सारी बातें भूलनी पड़ेगी ..चिंताएं पाल कर नहीं रखे उन्हें अंदर से निकालना पड़ेगा ..तभी मन शांत होगा ...बड़े से बड़ा संकट ,दुःख का समय , जब हमारा कोई प्रियजन हमें तडफता छोड़ मृत्यु के मुख में समां गया हो तब भी हमें उन्हें भूलना पड़ेगा ,,,दुःख की ब चिंता की बातें छोड़ उनसे लड़ने की कोशिश हमें नई जिंदगी दे सकती है ...मानती हूँ बहुत मुश्किल है लेकिन असम्भव नहीं ...शुरू में बहुत कठिनाई होगी लेकिन धीरे धीरे हम कामयाब हो जायेंगे .. और मन जब विषाक्त बातों को भूलना सीख जायेगा ...तो तन खुदबखुद अस्वस्थता का त्याग कर देगा ....तन के स्वस्थ होते ही हम अपने मन से लड़ने को ओर ज्यादा सक्षम हो जायेंगे .....इसलिए ..भूलना सीखना बहुत जरुरी है ......मैं  मनस्वी ये आपसब को ही नहीं खुद को भी कह रही हूँ ...क्योंकि यही सत्य है ,,,,,,,,  मनस्वी ,....     :) 

No comments:

Post a Comment