tag:blogger.com,1999:blog-8039541658138064558.post6269697314581424445..comments2023-04-16T03:14:02.591-07:00Comments on हमसाया: खामोश दास्ताँ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनस्वीhttp://www.blogger.com/profile/15567484876861158308noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8039541658138064558.post-30718728688034634222012-08-19T10:26:53.726-07:002012-08-19T10:26:53.726-07:00राजेन्द्र जी ..देरी के लिए माफ़ी ..समयाभाव के कारण...राजेन्द्र जी ..देरी के लिए माफ़ी ..समयाभाव के कारण..आपने ठीक कहा भावुकता में बह कर ,,,लेकिन कई बार न जाने क्यूँ मानव चाहते हुए भी इस से बच नहीं पाता..आपको ब्लॉग अच्छा लगा ,,बहुत बहुत धन्यवाद ..आगे भी मार्गदर्शन करते रहे ..अच्छा लगेगा ,,,मनस्वीhttps://www.blogger.com/profile/15567484876861158308noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8039541658138064558.post-28958702043342701682012-05-12T06:52:08.440-07:002012-05-12T06:52:08.440-07:00♥
आदरणीया मनस्वी जी
सस्नेहाभिवादन !
क्या ...<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />♥</a></b><br /><br /><br /><b><i> आदरणीया मनस्वी जी </i></b> <br />सस्नेहाभिवादन !<br /><br /><b> क्या आप भी मेरी ख़ामोशी तोड़ नहीं पाएंगे !</b><b> </b>भावुकता में बह कर लिखी गई रचना है … <br />भावुकता बुरी बात तो नहीं , लेकिन निराशा से बचने के अवसर अवश्य तलाशने चाहिए … … …<br /><br /><br />ख़ूबसूरत ब्लॉग है आपका ! यह कविता भी अच्छी है , पहली पोस्ट पर लगी कविता और भी अच्छी है ! <br />और श्रेष्ठ सृजन के लिए <b>हार्दिक शुभकामनाएं ! <br /><br /><br />मंगलकामनाओं सहित… </b> <br />-राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.com